बाबा
लाल
सिंह
भगत
जी
का जीवन परिचय
बाबा लाल सिंह जी का जन्म संमत सन ५१६ ईसा पूर्ब में गॉव खेड़िया में हुआ था उन्होंने बहुत
कठिन
परिश्रम
किया
नगला भगत भसाया
उनके तीन भाई भी थे उनका एक दिन झगड़ा हो गया तीनों भाइयों ने उनको मारा पीटा तब बे अपने खेतों पर एक ऊँची चौपाल बनाई उसपर लाल सिंह रहने लगा और हाँ उनकी एक पत्नी भी थी जिनका नाम यशोधरा था बे दोनों ही बड़े प्रेम से रहते थे उन्होंने एक घर भी बना
लिया
कुछ
दिन
बाद
उनके
एक
पुत्र
का
जन्म
हुआ
उसका
नाम
करन पंडित दीनानाथ जी ने किया
उनका
नाम
महावीर
रक्खा
महावीर
खेलता
कूदता
बड़ा
होगया
लाल
सिंह
के
मन
में
भक्ति
की
कामना
जाग्रत
हुए
तो
बे
पड़ोस
के
गॉव
में
एक
जाटब
यहाँ
गए तो वह बाबा जाहरवीर की उपाशना किया करता था तब लाल सिंह ने कहा आप मुझे अपना शिस्य बनायेगे तब उसने
कहा
ठीक
है
तुम
रोज
रात
को
आ
जाना
तो
लालसिंह जाहरवीर की उपासना करने रोज उसके घर जाता था एक दिन का समय था बाबा जाहरवीर ने कहा आज से तू वहाँ नही जायेगा में खुद अपने आप तेरी ही चौपाल पर आया करूँगा तो लाल सिंह हुक्का भरता बाबा जाहरवीर पीते
कुछ
दिन
ऐसाचलता
रहा
कुछ
दिन
बाद
लाल
सिंह
में
ऐसी
अलौकिक शक्ति आगयी जब लाल सिंह नहाने के किये कुए पर जाता जाकर नहाता नहाने के बाद अपनी धोती ऊपर फेक देता तो बह धोती ऊपर सूखती हुयी लाल सिंह के साथ चलती थी तो बह जगत में बाबा लालसिंह भगत
जी
के
नाम
से
विख्यात
हुए
तो
अब
उनके
पुत्र
पर
आते
है
महावीर
जवान
हो
गया
उसकी
शादी
हो
गयी
उनके
जयवीर
हुआ
जयवीर
के
धर्मवीर
,धर्मवीर
के
झींगुरीया के मल्ल के लैंडून के लक्छी के इन्द्र के रामचंद्र के कन्नी
के
शंकर
के
चार
पुत्र
हुए
लटूर
,भगवान
सिंह
अमर
सिंह
गोवर्धन
थे
शंकर
के
जेष्ठ
पुत्र
थे
भगवान
सिंह
के सात पुत्र हुए सातों जन्म लेते ही मर गये भगवान सिंह का आठवाँ पुत्र वरफो देवी के गर्व से प्रेम का जन्म हुआ प्रेम के चार पुत्र हुए सबसे बड़े पुत्र का नाम देवेंद्र ,दुर्ग
सिंह
,जीतेन्द्र
,हरेंद्र
,बहिन
,क्रिशना
चारों
पुत्रों में जीतेन्द्र भगत जी हुए उनका एक मित्र था जिसका नाम पवन कुमार था
देवेंद्र का एक पुत्र हुआ जिसका नाम शिवम् चाहर ,दुर्ग सिंह का पुत्र सागर चाहर आगे की कहानी पांचसाल बाद
आएगी
ओके
थैंक्स
राम
राम
सा